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चौथी प्राथमिकी पर नहीं किया हस्ताक्षर,ओएस होंगे निलंबित

भागलपुर: सृजन घोटाला मामले में जिला प्रशासन द्वारा एक और प्राथमिकी सोमवार को देर रात दर्ज करा दी गयी, मगर यह आवेदन पिछले 14 अक्तूबर से थाना पहुंचने का इंतजार कर रहा था. वजह, प्राथमिकी के आवेदन पर प्रशासी पदाधिकारी (ओएस) नंदकिशोर मालवीय साइन नहीं कर रहे थे. चर्चा है कि उक्त पदाधिकारी ने यह […]

भागलपुर: सृजन घोटाला मामले में जिला प्रशासन द्वारा एक और प्राथमिकी सोमवार को देर रात दर्ज करा दी गयी, मगर यह आवेदन पिछले 14 अक्तूबर से थाना पहुंचने का इंतजार कर रहा था. वजह, प्राथमिकी के आवेदन पर प्रशासी पदाधिकारी (ओएस) नंदकिशोर मालवीय साइन नहीं कर रहे थे. चर्चा है कि उक्त पदाधिकारी ने यह सवाल उठाया था कि नजारत शाखा में ऑफिसर, हेड नाजिर व अन्य दो सहायक नाजिर कार्यरत हैं तो उनके रहते वे हस्ताक्षर क्यों करें. वे चार माह बाद रिटायर हो रहे हैं.

पदाधिकारी के हस्ताक्षर नहीं करने पर नजारत के प्रभारी सह जिला भू-अर्जन पदाधिकारी जितेंद्र प्रसाद साह ने डीएम आदेश तितरमारे को उक्त सहायक प्रशासी पदाधिकारी के खिलाफ पत्र लिख दिया. उन्होंने मुख्य रूप से दो आरोप लगाये, इनमें प्राथमिकी दर्ज करने में सहयोग नहीं करने के अतिरिक्त नजारत शाखा के सामान्य जांच में भी असहयोग करने का आरोप लगाया. डीएम ने उनके खिलाफ निलंबन के प्रस्ताव का निर्देश दिया है. सूत्र बताते हैं कि डीएम ने उनके निजी खाते की जांच कराने का भी निर्देश दिया है.

दूसरी प्राथमिकी दर्ज कराने में भी खूब हुआ था नाटक. नजारत शाखा में अवैध निकासी से ही अगस्त में सृजन घोटाले का पर्दाफाश हुआ था. इस शाखा द्वारा अब तक तीन अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज करायी जा चुकी है. इनमें दूसरी प्राथमिकी दर्ज कराने के समय खूब नाटक हुआ. पहली प्राथमिकी में सहायक नाजिर अमरेंद्र कुमार यादव को सूचक और साक्षी के रूप में हेड नाजिर ओम कुमार श्रीवास्तव व सहायक प्रशासी पदाधिकारी नंद किशोर मालवीय बनाये गये. जब दूसरी प्राथमिकी का प्रारूप बना, तो सहायक नाजिर अमरेंद्र कुमार यादव ने नजारत के प्रभारी सह जिला भू-अर्जन पदाधिकारी को सूचक बनाने की बात कहने लगा. लेकिन जब उन पर दबाव बनाया गया, तो वह सर्किट हाउस से फरार हो गये. आनन-फानन में प्राथमिकी का प्रारूप बदलना पड़ा और जिला भू-अर्जन पदाधिकारी सूचक बने. इसके बाद एफआइआर हो पाया. बताया जाता है कि सीबीआइ के केस लेने के कारण कोई भी उनकी पूछताछ व सीबीआइ के पटना स्थित विशेष कोर्ट के चक्कर से बचना चाहता है. हालांकि गवाही देने व जांच में सहयोग करने के लिए सभी तैयार हैं.
सीबीआइ के एसपी पहुंचे सबौर के कैंप कार्यालय
जांच को लेकर सोमवार को बीएयू सबौर स्थित सीबीआइ के कैंप कार्यालय में सीबीआइ एसपी पहुंचे और अब तक जुटाये गये साक्ष्यों का अवलोकन किया. दूसरी ओर कई वीआइपी पर्सन का दिन भर आना-जाना लगा रहा. देर शाम तक सीबीआइ कार्यालय के आसपास तकरीबन 10 चार चक्का वाहन खड़े थे. बताया जाता है कि कई लोगों से पूछताछ की गयी. इनमें को-ऑपरेटिव विभाग के तीन-चार पूर्व अधिकारी सहित आइएस अधिकारी से भी पूछताछ की बात सामने आ रही है. सूत्रों की मानें तो सीबीइ के एक इंस्पेक्टर ने भी सोमवार को कैंप कार्यालय में योगदान दिया.
नाजिर अमरेंद्र यादव की मांगी विस्तृत रिपोर्ट. जिला नजारत के सहायक नाजिर अमरेंद्र कुमार यादव के मेडिकल जांच को लेकर सोमवार को विस्तृत रिपोर्ट मांगा गयी है. कुछ दिन पहले सहायक नाजिर की मेडिकल बोर्ड से जांच करायी गयी थी.
जिप से कुछ और खाते की रोकड़ पंजी मांगा. जिला परिषद से कुछ और खाते की रोकड़ पंजी सीबीआइ ने सोमवार को मांगी है. टीम के पिछले दिनों कार्यालय में आकर कर्मियों से पूछताछ की गयी.

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