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2020 तक शुरू होगा खाद कारखाना

रफ्तार. कारखाने का निर्माण कार्य 36 महीने के भीतर किया जायेगा पूरा नवंबर 17 में कारखाने का होगा शिलान्यास बरौनी (नगर) : गैस आधारित उर्वरक कारखाना बरौनी ने पर्यावरण विभाग से एनओसी मिलते ही पुनर्निर्माण की दिशा में एक और मजबूत कदम बढ़ा दिया है.उक्त बात की जानकारी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड(हर्ल) के मुख्य […]

रफ्तार. कारखाने का निर्माण कार्य 36 महीने के भीतर किया जायेगा पूरा

नवंबर 17 में कारखाने का होगा शिलान्यास
बरौनी (नगर) : गैस आधारित उर्वरक कारखाना बरौनी ने पर्यावरण विभाग से एनओसी मिलते ही पुनर्निर्माण की दिशा में एक और मजबूत कदम बढ़ा दिया है.उक्त बात की जानकारी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड(हर्ल) के मुख्य महाप्रबंधक देवेंद्र कपूर ने दी. उन्होंने कहा कि अक्तूबर माह तक साइट डेवलपमेंट का काम शुरू कर दिया जायेगा. जिसके लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है.
कारखाने का बदल गया है नाम:मुख्य महाप्रबंधक ने बताया कि सरकार द्वारा जून-2016 में हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लि. बरौनी यूनिट का नाम एचयूआरएल यानी हिंदुस्तान उर्वरक व रसायन लि. कर दिया गया है. सरकार ने करीब 15 वर्षों से बंद पड़े खाद कारखाने को चालू करने के लिए पांच कंपनियों को मिला कर ज्वाइंट वेंचर बनाया है जिसमें आइओसीएल, एनटीपीसी, कोल इंडिया, एचएफसीएल और एफसीआइ को अधिकृत किया गया है. कारखाने का निर्माण कार्य 36 महीने के भीतर पूरा किया जायेगा.
फर्स्ट फेज में होगा साइट डेवलपमेंट कार्य :मिली जानकारी के अनुसार कारखाना के निर्माण कार्य शुरू करने से पहले उसके लिए साइट डेवलपमेंट का कार्य शुरू किया जायेगा. जिसके लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है और एक-दो माह के भीतर उचित फर्म को काम अवार्ड कर दिया जायेगा. जिसके तहत जंगल की कटाई, साफ-सफाई और निर्माण स्थल की जगह को समतल करना शामिल है.
फिर बिजली सप्लाई और पानी की व्यवस्था करना प्रमुख है. नयी तकनीक और विश्वस्तरीय सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर बनाया जानेवाला कारखाना विश्व स्तरीय होगा. पर्यावरण और प्रदूषण से संबंधित सभी जरूरी पहलुओं का ध्यान निर्माण के दौरान रखा जायेगा. इसके लिए एलएसटी कंपनी को अधिकृत किया गया है जो संभवत: मार्च 2018 से निर्माण कार्य शुरू कर देगी.
गैस पर आधारित होगा यह कारखाना:करीब 65 सौ करोड़ की लागत से बनने वाला यह कारखाना गैस पर आधारित होगा. इसकी क्षमता प्रतिदिन 2200 मीटरिक टन अमोनिया व 3850 मीटरिक टन यूरिया का उत्पादन करने की होगी. मुख्य महाप्रबंधक ने आशा जताते हुए कहा वर्ष -2020 में नये प्लांट का कमीशिनंग कार्य पूरा कर कारखाने से उत्पादन शुरू कर दिया जायेगा. गैस की पूर्ति के लिए गेल कंपनी द्वारा पाइप लाइन बिछाने का काम संभवत: वर्ष 2019 के अंत तक पूरा कर लिया जायेगा.वहीं कारखाने के भीतर अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए गैस पर आधारित 25 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए संयंत्र लगाया जायेगा.
आधुनिक सुविधाओं से लैस होगी कॉलोनी :हर्ल कंपनी अपने अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए नया और अति आधुनिक टाऊनशीप बनायेगी. इसके लिए उपनगरी के आधे हिस्से की जमीन को उपयोग में लाया जायेगा.जहां हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होगी. वहीं पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए 5000 पेड़ लगाये जायेंगे और कारखाना के तीन किलोमीटर के दायरे में बसे गांवों में शुद्ध पेयजल सहित अन्य सुविधाएं दी जायेगी.
कारखाना बनने से स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार:कारखाना बनने के उपरांत स्थानीय युवाओं को निश्चित रूप से रोजगार के अवसर मिलेंगे.मिली जानकारी के अनुसार पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए अखिल भारतीय प्रतियोगिता परीक्षा पास करनी होगी. वहीं स्थानीय लोगों को हूनर और कौशल के आधार पर नियुक्ति में प्राथमिकता मिलेगी. कंपनी द्वारा स्कील डेवलपमेंट सेंटर खोला जायेगा जहां युवाओं को विशेष कार्य का प्रशिक्षण दिया जायेगा.

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