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यूँ ही जेल की हवा खानी हो, तो यहाँ जाइए

देश में पहली बार तेलगांना सरकार ने अपनी तरह की अनूठी पहल करते हुए लगभग 220 साल पुरानी एक जेल को ‘फील द जेल’ कार्यक्रम के तहत, आम लोगों के लिए खोल दिया है. इस दस बैरक वाली जेल मे कभी निजाम के घोड़े रहते थे. बाद में निजामशाही में सज़ायाफ्ता लोगों को रखा जाने […]

देश में पहली बार तेलगांना सरकार ने अपनी तरह की अनूठी पहल करते हुए लगभग 220 साल पुरानी एक जेल को ‘फील द जेल’ कार्यक्रम के तहत, आम लोगों के लिए खोल दिया है.

इस दस बैरक वाली जेल मे कभी निजाम के घोड़े रहते थे. बाद में निजामशाही में सज़ायाफ्ता लोगों को रखा जाने लगा.

आज़ादी के बाद भी सरकार ने इस जेल का इस्तेमाल सज़ा पाने वाले मुजरिमों के लिए किया.

तेलगांना के जेल महानिदेशक वीके सिंह बताते हैं, "मैं जेल को आर्थिक आत्मनिर्भर बनाना चाहता हूं. लोगों को आज़ादी के मायने समझ में आना चाहिए. साल 2012 में जब नई जेल बन गई तो पुरानी जेल खाली हो गई, हमने फ़ील द जेल कार्यक्रम के तहत इस सोच को आकार देने की शुरुआत की. इसके तहत पहले नौ बैरक को म्यूजियम में तब्दील किया और एक महिला बैरक को शौक से जेल की हवा खाने के लिए आने वाले लोगों के लिए खोल दिया."

पुरानी चीजों को संग्रह

जेल म्यूज़ियम में जेल में इस्तेमाल में लाई जाने वाली पुरानी चीज़ों को रखा गया है. इनमें हथकड़ी, चक्की, उर्दू में लिखा रोजनामचा, लंदन से लाई हुई घंटी सहित कई चीज़ें रखी हुई हैं. म्यूज़ियम का टिकट मात्र 10 रुपये रखा गया है, जबकि एक दिन यानि 24 घंटे कैदी जीवन जीने के लिए आने वाले पर्यटकों को प्रति व्यक्ति 500 रुपये देना होंगे.

जेल महानिदेशक विनय सिंह बताते हैं, "अब तक लगभग 15 लोग 24 घंटे जेल में गुजार चुके हैं. कैद में 24 घंटे रहना भी आसान नहीं है. कुछ लोग कुछ घंटे के बाद ही यहां से बाहर जाना चाहते हैं. ऐसे लोगों के लिए अब हमने जुर्माना राशि की शुरुआत की है. मतलब यदि आप तय समय से पहले जेल से भागना चाहते हैं, तो आपको 500 रुपये और जुर्माने के तौर पर देना होंगे. यहां आने वाले लोगों में कुछ आईआईटी छात्र, आर्मी और सरकारी अधिकारी शामिल हैं. इनमें एक आर्किटेक्ट की छात्रा भी शामिल हैं."

ऐसे ही लोगों में शुमार इंजीनियरिंग छात्र नवीन कृष्ण कहते हैं, "जब इसके बारे में मुझे पता चला तो जैसे अपने बचपन की उत्सुकता को शांत करने का मौका मिल गया. वहां जाना और पूरे एक दिन कैदी की तरह रहना मेरे लिए बहुत ही रोमांचक था."

संगारेड्डी जेल के जेलर संतोष राय फील द जेल की सफलता पर बात करते हुए कहते हैं, "देश में अपनी तरह के इस पहले प्रयोग को लागू करने के बाद हमारा विभाग काफी उत्साहित है. अब तक देश के कई राज्यों के जेल अधिकारी और बांग्लादेश गृह मंत्रालय के लोग यहां का दौरा करके जा चुके हैं. अब लंदन से भी कुछ रिसर्च स्कॉलर्स यहां आने वाले हैं."

जेल महानिदेशक वीके सिंह भविष्य में फील द जेल को तेलगांना पर्यटन से जोड़ने की इच्छा रखते हैं.

फिलहाल आप संगारेड्डी जेल में टिकट कांऊटर से टिकट लेकर या फिर जेल विभाग के ई-मेल अकाउंट dgprisonscontrolroom@gmail.com के जरिये अपनी बुकिंग करा सकते हैं.

24 घंटे में जेल टूरिस्ट के साथ क्या होता है?

‘फील द जेल’ के लिए आने वाली शख़्स को सिर्फ़ वही सुविधा मिलेंगी, जो एक कैदी को मिलती है.

कैदी की पोशाक मिलेगी, सोने के लिए एक चादर और एक कंबल, खाने के लिए एल्यूमिनियम की एक प्लेट और एक गिलास मिलेगा.

जेल मैनुअल के हिसाब से घंटी की आवाज़ के साथ सुबह 6 बजे उठना पड़ेगा. साढ़े सात बजे चाय नाश्ता मिलेगा. इसके बाद योगा, पीटी और परेड कराई जाएगी.

11 बजे दोपहर का खाना दिया जाएगा. जेल टूरिस्ट के लिए अलग से खाना नहीं बनता. बल्कि नई जेल से वही खाना लाया जाता है, जो असल कैदियों के लिए बनाया जाता है.

खाने में ज्यादातर चावल, दाल और रसम दिया जाता है. दोपहर 12 बजे गिनती होगी. एक बजे चाय मिलेगी. फिर एक से चार बजे के बीच काम कराया जाता है. जैसे बैरक और बरांडो की सफाई या फिर गड्ढे खोदकर पेड़ लगाने का काम करना होगा.

शाम साढे 4 बजे रात का खाना दे दिया जाएगा. साढे 5 बजे घंटी बजते ही बैरक में जाना होगा और एक बार बैरक में बंद हो जाने के बाद अगले दिन सुबह 6 बजे ही बाहर निकल सकते हैं. रात में टॉयलेट जाने के लिए बैरक के अंदर ही बने ओपन टॉयलेट का इस्तेमाल करना पड़ेगा.

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