30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

”भारत मां की लाल” ने सैन्य-जीवन का किया चित्रण

स्वयं सेवी संस्था म मुक्ति िनकेतन का संस्थापना दिवस समारोह संपन्न कटोरिया : स्वयं सेवी संस्था मुक्ति निकेतन के 33वां त्रिदिवसीय संस्थापना दिवस समारोह का समापन शनिवार की देर रात्रि रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति के साथ हुआ. सांस्कृतिक सत्र का विधिवत उद्घाटन टीएमबीयू के वीरेंद्र प्रसाद सिंह, शंभुनाथ सिंह व शिशुपाल ने संयुक्त रूप से […]

स्वयं सेवी संस्था म मुक्ति िनकेतन का संस्थापना दिवस समारोह संपन्न

कटोरिया : स्वयं सेवी संस्था मुक्ति निकेतन के 33वां त्रिदिवसीय संस्थापना दिवस समारोह का समापन शनिवार की देर रात्रि रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति के साथ हुआ. सांस्कृतिक सत्र का विधिवत उद्घाटन टीएमबीयू के वीरेंद्र प्रसाद सिंह, शंभुनाथ सिंह व शिशुपाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. अंतिम सांस्कृतिक सत्र में मां शारदा आर्टिस्ट ग्रुप, प्रतिभा भाष्कर व मुक्ति निकेतन घोघा के कलाकारों में अच्छी प्रस्तुति के लिए होड़ लग गयी.
सैन्य संघर्ष जीवन पर आधारित नाटक ‘भारत मां की लाल’ की प्रभावशाली व भावुकतापूर्ण जो प्रस्तुति हुई. उससे सब अभीभूत हो गये. नाटक ‘नोटबंदी’ व ‘रिश्ते’ ने भी समाज को काफी संदेश दिये. इसमें कलाकार प्रहलाद भारती, सुमन, प्रकाश, गायत्री, राजेश्वरी, अमोद, गुड्डु, मनीष, विजय, निरंजन भारती, प्रमोद भारती, मुन्ना, पप्पू, सिंधु, पल्लवी, लक्की, सौम्या, मीरा, नंदनी, डोली, अजय, योगेंद्र आदि की भूमिका काफी सराहनीय रही.
संस्था सचिव चिरंजीव कुमार सिंह द्वारा प्रस्तुत कव्वाली ‘भर दे झोली मेरी या मोहम्मद’ पर काफी देर तक तालियां बजती रही. वहीं बाल कलाकार सोमान्या दास ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया. मुक्ति निकेतन घोघा के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत दशावतार की झांकी भी काफी आकर्षक रही. आयोजन को सफल बनाने में संस्था के संरक्षक अनिरूद्ध प्रसाद सिंह, सचिव चिरंजीव कुमार सिंह, बीएड कॉलेज के डायरेक्टर रविशंकर सिंह, प्राचार्य डा मिथलेश सिंह, नाटककार अश्विनी कुमार सिंह, डा श्रीकांत प्रसाद, मनोज पांडेय, चंद्रभूषण सिंह, संजय सिंह, अंजन सिंह, जवाहर सिंह, रंजीत सिंह, मनोरंजन सिंह, नरेश सिंह, पिंकी दीदी, रोमा, सविता, सरिता, रेणु आदि ने सहयोग किया.
मानवीय मूल्यों की रक्षा बड़ी चुनौती
मुजफ्फरपुर से पहुंचे चर्चित कवि डा संजय पंकज ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपनी परंपरा को भूल रहे हैं. हमारा आदर्श क्या और कौन हो, इसका सही-सही चुनाव करना चाहिये. आज भी यह देश और विश्व राम, कृष्ण, बुद्ध, गांधी, विवेकानंद जैसे महापुरूषों के योगदान से लाभान्वित होता हुआ अनेक संकटों से मुक्ति का मार्ग का तलाशता है. युवाओं के समक्ष नौकरी की चुनौती से ज्यादा मानवीय मूल्यों की रक्षा की चुनौती है. जिसके लिये उन्हें सही शिक्षा और संस्कार की दिशा आवश्यक है.
अपनी कविताओं के माध्यम से बीच-बीच में कई उद्बोधन भी प्रस्तुत किये. उनकी यह पंक्ति ‘चल रे साथी चल, पथ है दुर्गम सुगम नहीं कुछ और नहीं संबल’ देर तक गूंजती रही. कवयित्री मीनाक्षी मिनल ने ‘सबको नदी चाहिये’ कविता सुना कर रूढ़ीवादी समाज व स्त्री मुक्ति को संकेतिक किया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें