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धर्म के आधार पर देश का बंटवारा गलत था

महकमा सूचना व संस्कृति कार्यालय ने जिला ग्रंथागार में मातृभाषा दिवस मनाया अपनी भाषा के प्रति सम्मान होने से ही दूसरे की भाषा को भी सम्मान देना संभव आसनसोल : टीडीबी कॉलेज (रानीगंज) के पूर्व अध्यापक सह आसनसोल नगर निगम बांग्ला अकादमी के अध्यक्ष डॉ रामदुलाल बसू ने कहा कि धर्म के आधार पर भारत […]

महकमा सूचना व संस्कृति कार्यालय ने जिला ग्रंथागार में मातृभाषा दिवस मनाया
अपनी भाषा के प्रति सम्मान होने से ही दूसरे की भाषा को भी सम्मान देना संभव
आसनसोल : टीडीबी कॉलेज (रानीगंज) के पूर्व अध्यापक सह आसनसोल नगर निगम बांग्ला अकादमी के अध्यक्ष डॉ रामदुलाल बसू ने कहा कि धर्म के आधार पर भारत तथआ पाकिस्तान को विभक्त करने का निर्णय गलत था. पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में 54 प्रतिशत नागरिक बांग्लाभाषी होने के बावजूद राष्ट्र भाषा के रुप में वहां के नागरिकों को उर्दू भाषा को स्वीकार करने के लिए बाध्य किया गया. जबकि वहां उर्दू भाषियों की संख्या सिर्फ 8.6 प्रतिशत थी. अपनी मातृभाषा को राष्ट्रभाषा की दर्जा दिलाने के लिए वहां के लोगों ने आंदोलन आरंभ किया. इसी आंदोलन में वर्ष 1952 में 21 फरवरी को पांच लोग पुलिस की गोली से मारे गये. इसी आंदोलन के परिणामस्वरुप ही अंतराष्ट्रीय भाषा दिवस की मान्यता यूनेस्कों ने 1999 में तथा यूएनओ ने वर्ष 2008 में दी.
वे मंगलवार को जिला ग्रंथागार (आसनसोल)के सहयोग से महकमा सूचना व संस्कृति कार्यालय (आसनसोल) द्वारा जिला ग्रंथागार में आयोजित अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे. मुख्य वक्ता श्री बसू के साथ ही साथ साहित्यकार सह पत्रकार देवव्रत घोष ने भी संबोधित किया. महकमा सूचना व संस्कृति अधिकारी समाप्ति दत्ता, जिला ग्रंथागार के लाइब्रेरियन सुब्रत कुमार दास आदि उपस्थित थे. संचालन साहित्यकार सह पत्रकार अमल बनर्जी और उदघाटन संगीत सिद्धार्थ शंकर सरकार ने पेश किया. उनका सहयोग तबला पर पिनाकी घोष और कैशियों पर देवमाल्य सरकार ने किया. शहीदों को पुष्प अर्पण कर और एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी.
डॉ बसू ने ने कहा कि अपनी भाषा के प्रति सम्मान होने से ही दूसरे की भाषा को भी सम्मान दे पायेंगे. बहुभाषा को समृद्ध करके ही एक महान देश की स्थापना कर सकते है. पारस्परिक भाषाओं के आदान प्रदान से भी भाषा संबद्ध होती है. पत्रकार सह कलाकार श्री घोष ने कहा कि अपने भाव को किसी के समक्ष सटिक रुप से पेश करने में भाषा ही मददगार होती है.
अपने भाव को लिखित या बोली के जरिये पेश करने के लिये अनेक भाषाओं को एक साथ संजो कर उसे पेश करते है. बंगाल, बिहार और उड़ीसा पूर्व में एक ही राजा के अधीन होने के कारण तीनों ही भाषाअंों के बीच रिश्तेदारी है. इनमें काफी शब्द एक दूसरे के बीच आते है. मातृभाषा को संबद्ध बनाने के लिये अन्य भाषाओं को भी संपर्क की सुविधा के लिए उसे जोड़ा गया जो चलन में है. कार्यक्रम में उपस्थित प्रतियोगितामूलक परीक्षाओं की तैयारी करनेवाले छात्र किशनु तिवारी, राजबीर मल्लिक, इगान्न राय आदि ने मातृभाषा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण सवाल किये. जिसका उत्तर मुख्य वक्ताओं ने दी. प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़े युवकों व युवतियों ने भाषा तथा मीडिया की निष्पक्षता से संबंधित कई सवाल उठाये. जिला ग्रंथागार के लाईब्रेरियन श्री दास ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
गर्ल्स कॉलेज में मनाया भाषा दिवस: रानीगंज अंतर्राष्ट्रीय भाषा दिवस के अवसर पर रानीगंज गर्ल्स कॉलेज के सभागार में मंगलवार को भाषा दिवस मनाया गया. संस्कृत, हिंदी, बांग्ला, उर्दू , संथाली विभाग की छात्राओं ने इसमें िहस्सा िलया. कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर छवि दे ने कहा िक हमें अपनी भाषा का सम्मान करना होगा.
उन्होंने कहा कि अपनी भाषा सीखने तथा बोलने में कोई कुंठा नहीं होनी चाहिये. अपनी भाषा से प्यार करना चाहिए. मौके पर कॉलेज की डॉ अनिता मिश्र, ज्योतिका वाघले, सोमेंद्र सरकार, सुचेता मुखर्जी आदि उपस्थित थे.
बांकुड़ा में मना अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा िदवस: बांकुड़ा . जिले में शहीदों को याद करते हुये अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा िदवस मनाया गया. मोहनबागान पार्क प्रांगण में बांकुड़ा जिला लििटल मैगजीन कमिटी ने भाषा दिवस मनाया. भाषा दिवस के शाहीदों को श्रद्धांजली अिर्पत की गई.बांकुड़ा विश्वविद्यालय में आलोचना सभा आयोिजत की गयी. मुख्य वक्ता के रूप में बर्दवान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर उदयचंद्र दास, रायपुर बीडीओ दीपंकर दास उपस्थित थे.
केएनयू के हिंदी विभाग ने भी आयोजित की संगोष्ठी
आसनसोल. अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर काजी नजरूल विश्वविद्यालय के हंिदूी विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में स्टूडेंटस ने मातृभाषा के महत्व पर अपने विचार रखे. चतुर्थ सेमेस्टर की छात्र मिली ने कहा कि जन्म के बाद शिशु अपनी माता से जो भाषा सीखता है, वह उसकी मातृभाषा है. सूरज कुमार ने कहा कि मातृभाषा में अधिकांश लोग अपनी संवेदनाओं को व्यक्त करते हैं. द्वितीय सेमेस्टर की दीपिका ने कहा जिस प्रांत की मातृभाषा जितनी समृद्ध होगी, वहां समाज उतना ही विकसित होगा. केएनयू के हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ विजय भारती ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का उददेश्य भाषाओं के पारस्परिक संपर्क को बढावा देकर सभी भाषाओं का समान रूप से सम्मान करना है.
मातृभाषा को व्यक्तित्व के विकास का मूल आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग होना चाहिए. सभी भाषाओं को समान बताते हुए श्री भारती ने कहा कोइ भी भाषा दूसरे की प्रतिद्वंदी नहीं है. हिंदी अंग्रेजी की या अंग्रेजी हिंदी बंगला, या बंगला हिंदी ये आपस में प्रतिद्वंदी नहीं हैं बल्कि आपस में समान महत्व रखते हैं. उन्होंने सरकार से भाषाओं के उन्नयनमूलक कार्यो को बढावा देने का आग्रह किया. हंिदूी विभाग के सहायक प्रोफेसर प्रतिमा प्रसाद, एकता चौधरी, मोहम्मद अजहर, आशिष प्रसाद, संगीता अग्रवाल, रियाज, मधु कुमारी, अमन, पूजा शर्मा, पुष्पा थापा, ममता आदि उपस्थित थीं.
आसनसोल. अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर बीबी कॉलेज के ऑडिटोरियम हॉल में आयोजित मातृभाषा संगोष्ठी में बांग्ला की ख्यातिप्राप्त लेखिका जया मित्र ने मातृभाषा को सबसे प्रिय बताते हुए कहा कि मातृभाषा मनुष्य की पहचान है. इसमें उसके संस्कृति, सभ्यता, व्यवहार की झलक होती है. सुश्री मित्र ने कहा कि सभी भाषाएं अनुकरमीय हैं. सभी को ज्यादा से ज्यादा भाषाएं और बोलियां सिखना चाहिए. परंतु जो मिठास और अपनत्व का अहसास अपनी मातृभाषा कराती है. वह दूसरी भाषाओं में नहीं मिलता है. भाषा और संस्कृति में संबंध स्थापित करते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृति की रक्षा के लिए अपनी मातृभाषा को बचाये रखना जरूरी है. भाषा सजावट की चीज नहीं है, बल्कि रोजाना के बोलचाल में इस्तेमाल और व्यवहार की जाने वाली चीज है. युवाओं में दिनों दिन दूसरी भाषाओं के प्रति बढ़ते रूझान और अपनी मातृभाषा को लेकर घटते आकर्षण पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि स्पेन, अज्रेटिना और दूसरे देशों के कथाविद भी इससे चिंतित हैं.
अपनी मातृभाषा को बचाने के लिए युवाओं और नयी पीढ़ी को दिमागी स्तर से बदलाव लाने होंगे. विदेशों में रोजगार के सिलसिले में रह रहे किसी व्यक्ति को जब अपने देश, प्रांत का कोइ अजनबी मिलता है तो वे उसे भरोसा दिलाने के लिए अपनी मातृभाषा में बात करते हैं. दूसरे की संस्कृति को सम्मान देने के साथ साथ अपनी संस्कृति को बचाये रखने का संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति का अपनापन पीढ़ी दर पीढी चलता आया है इसे बचाने के लिए सदैव तत्पर रहें. टीआइसी डॉ अमिताभ बासू ने भी संबोधित किया. कॉलेज के स्टूडेंटस ने बंगला भाषा की कविताओं का पाठ किया.
अवसर पर हिंदी विभाग के अध्यापक श्रीकांत द्विवेदी, बांग्ला विभाग की अध्यापक सोमा चक्रवर्ती, ऊदरू विभाग के अध्यापक अलिमूद्दीन साह, अद्यापक अनिमेष मंडल, अध्यापक दिलीप कुंडू, मौसमी घोष, सुतनूमा मंडल, टीएमसीपी के जीएस सुशोभन माजी, क्रीडा सचिव प्रलय मिश्र, संस्कृति सचिव शिलादित्य राय, कृष्णोंदू राय, अभिनव मुखर्जी आदि उपस्थित थे.

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