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Friday, March 29, 2024

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बाढ़ से मजदूर-व्यवसायी हुए तबाह

हाहाकार. व्यवसायियों को है सरकार की तरफ से थोड़ी राहत की उम्मीद गरीब, मजदूर किसानों के साथ बाढ़ से जिले भर के व्यवसायी आहत हुए हैं. बाढ़ का पानी दुकान व गोदामों में घुस आने के कारण उन्हें गंभीर व्यवासायिक नुकसान उठाना पड़ा है. जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारिक मंडियों में छायी सुस्ती अब […]

हाहाकार. व्यवसायियों को है सरकार की तरफ से थोड़ी राहत की उम्मीद

गरीब, मजदूर किसानों के साथ बाढ़ से जिले भर के व्यवसायी आहत हुए हैं. बाढ़ का पानी दुकान व गोदामों में घुस आने के कारण उन्हें गंभीर व्यवासायिक नुकसान उठाना पड़ा है. जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारिक मंडियों में छायी सुस्ती अब और भी गंभीर हो चुकी है. बाजारों में जरूरत के चीजों की बेहद कमी है.
अररिया : बाढ़ के कारण खुद को हुए व्यापारिक घाटा को पाटने के लिए व्यवसायी मदद की आस में सरकारी घोषाणाओं पर अपनी नजर बनाये हुए हैं. उन्हें उम्मीद है कि इस मुश्किल घड़ी में सरकार उनके साथ घड़ी होगी और कुछ व्यापारिक रियायतों की घोषणा कर उन्हें राहत देगी. बाढ़ के बाद की व्यापारिक गतिविधियों के बारे में पूछे जाने पर दवा दुकान ड्रग स्टोर के राम कमल चौधरी ने बताया कि भंडारित दवाएं पूरी तरह नष्ट हो गयी है. बाजार में जरूरत की दवाएं नहीं मिल रही है.
खास तौर पर बच्चों के पैकेट बंद आहार पानी में भींग जाने से इसकी कमी जरूरतमंदों को खटक रही है. पानी में व्यवसाय का लेखा-जोखा नष्ट होने व्यापारी संकट में हैं. ऐसे में उन्होंने सरकार से बीते तीन महीनों का जीएसटी शुल्क माफ किये जाने के साथ इसे लागू करने की समय सीमा बढ़ाये जाने की मांग केंद्र व राज्य की सरकार से की. दवा व्यवसाय से जुड़े मेघराज छतमल के मनोज बररिया ने कहा कि व्यापार को पटरी पर लौटने में एक माह से अधिक का वक्त लगेगा. व्यवसायियों को सरकार की तरफ से कुछ रियायत मिलनी चाहिए. जीएसटी में छूट व समय सीमा बढ़ा कर सरकार को व्यापारी के हित से जुड़े कुछ निर्णय लेने चाहिए.
किताब व स्टेशनरी व्यापार से जुड़े किशोर कुमार ने कहा कि सरकार अगर इस मुश्किल घड़ी में व्यवायी के साथ खड़ी नहीं होती है. तो इससे उनका मनोबल प्रभावित होगा. छोटे व्यवसायी बाढ़ से हुए नुकसान को झेलने की स्थिति में नहीं हैं. उन पर महाजन का बड़ा कर्ज है. उनकी मदद के लिए सरकार को कुछ साकारात्मक कदम उठाने चाहिए. जीएसटी टैक्स की समयसीमा बढ़ाने की मांग वे सरकार से करते हैं.
जीएसटी में छूट से मिलेगी थोड़ी राहत
ग्रामीण इलाकों के संपर्क को बनाये दुरस्त
कपड़ा व्यवसायी इंद्रचंद नेमचंद के मुदित जैन चाहते हैं कि सरकार जल्द से जल्द मुख्यालय से ग्रामीण इलाकों के संपर्क को दुरस्त बनाये. ताकि लोगों का मुख्यालय पहुंचना आसान हो. यहां से माल बाहर भेजे जा सके और बाहर से माल की आवाजाही संभव हो सके. किराना व्यवसायी पवन कुमार ने भी सस्ते ऋण की व्यवस्था और टैक्स में छूट दिये जाने की मांग सरकार के समक्ष रखा. किराना व्यवसाय से जुड़े कुलदीप जैन के मुताबिक व्यापारियों को हुए नुकसान की थोड़ी भरपाई का प्रयास सरकार को जरूर करना चाहिए. सरकार टैक्स में छूट देकर व्यापारिक ऋण में थोड़ी रियायत देकर ऐसे कदम उठा सकती है. लकड़ी व्यवसाय से न्यू असम टिंबर के राजेश चौधरी कहते हैं कि गोदाम में रखा सामान नष्ट होने के बाद महाजन द्वारा माल का नया खेप नहीं भेजा जा रहा है. बकाये अदा करने का भारी दबाव है. बाजार में मंदी है. लेवाक नहीं मिल नहीं रहे हैं. ऐसे में सरकार कुछ रियायत देकर व्यापारिक हितों का संरक्षण कर सकती है. किराना व्यवसाय से जुड़े शारदा एजेंसी संजय कुमार व्यापारियों की मदद के लिए आसाना किस्तों पर बैंक ऋण के उपलब्धता की वकालत करते हैं. उनके मुताबिक इससे व्यापारियों को कर्ज से थोड़ी राहत मिलेगी.
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