नयी दिल्ली : सरकार ने मोटर स्पोर्ट्स को एक खेल के रूप में मान्यता देकर इसकी संचालन इकाई एफएमएससीआई को खेल मंत्रालय से मान्य राष्ट्रीय खेल महासंघों की सूची में शामिल कर लिया.यह नया घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब कर एवं नौकरशाही संबंधी बाधाओं की वजह से ग्रां प्री का आयोजन टलने के बाद देश में फॉर्मूला वन वापस लाने की कोशिशें की जा रही हैं. मंत्रालय ने खेल स्पर्द्धाओं की नवीनतम समीक्षा में मोटर स्पोर्ट्स को अपनी सूची में शामिल किया. हालांकि इसे अन्य वर्ग में शामिल किया गया जिसका मतलब है कि भारतीय मोटर स्पोर्ट्स क्लब महासंघ (एफएमएससीआई) को कोई वित्तीय मदद नहीं दी जायेगी.
दिलचस्प रूप से सरकार ने एफएमएससीआई की मान्यता कभी भी वापस नहीं ली थी, उसने केवल 2011 में संगठन को एनएसएफ की मान्यता प्राप्त सूची से हटा लिया और हमें दोबारा मान्यता दे दी है और मोटर स्पोर्ट्स की तरफ सरकारी की बेरूखी को लेकर बहुत ज्यादा आलोचना का कारण यह था कि उस समय फॉर्मूला वन पहली बार (2011) भारत में आया था. भारतीय मोटर स्पोर्ट्स इतनी चर्चा में कभी नहीं रहा था.
हालांकि सरकार मोटर स्पोर्ट्स गतिविधियों के लिए धन नहीं देगी, एफएमएससीआई की आठ सदस्यीय परिषद के वर्तमान सदस्य और पूर्व रेसर अकबर इब्राहिम ने कहा कि मंत्रालय से मान्यता मिलने के बहुत सारे फायदे होंगे.उन्होंने कहा, तीन हफ्ते पहले हमें खेल मंत्रालय से पत्र मिला कि वह अब एफएमएससीआई को मान्यता देता है. महासंघ हमेशा मान्यता प्राप्त सदस्य था लेकिन एनएसएफ का दर्जा लेने के लिए हमें मंत्रालय के दिशा निर्देशों का पूरी तरह पालन करना पड़ा जिनमें (पदाधिकारियों की) उम्र और कार्यकाल की सीमाओं से जुडे प्रावधान शामिल हैं. मंत्रालय के दिशा निर्देशों का पालन करने के लिए जो भी संशोधन जरूरी थे किये गये और मंत्रालय को सौंप दिये गये. पूरी प्रक्रिया में करीब छह महीने का समय लगा.