नयी दिल्ली : पूर्व मुख्य राष्ट्रीय कोच विनोद ने आज कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के केंद्र सरकार को उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार देने का निर्देश देने के बाद वह राहत महसूस कर रहे हैं. उच्च न्यायालय ने आज विनोद कुमार की याचिका को स्वीकृति दे दी जिन्होंने 18 अगस्त को द्रोणाचार्य पुरस्कार चयन समिति के खिलाफ इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए उनकी अनदेखी करने पर यचिका दायर की थी.
विनोद कुमार ने कहा, मुझे अभी अदालत का आदेश मिला है. मैं बेहद खुश हूं और राहत महसूस कर रहा हूं कि अदालत ने मेरी याचिका स्वीकार कर ली. मुझे खुशी है कि अदालत मेरी उपलब्धियों को देख पाई और केंद्र को निर्देश दिया कि वे कल मुझे पुरस्कार दें. वार्षिक राष्ट्रीय खेल पुरस्कार समारोह कल राष्ट्रपति भवन में होने हैं.
विनोद कुमार ने कहा, अदालत के समय पर हस्तक्षेप करने से मैं काफी खुश हूं. जब कोई वह सम्मान हासिल करता है जिसका वह हकदार होता है तो उसे खुशी होती है. द्रोणाचार्य पुरस्कार चयन समिति ने 14 अगस्त को इस सम्मान के लिए एक अन्य कुश्ती कोच अनूप सिंह के नाम की सिफारिश की थी और विनोद कुमार की उपलब्धियों की अनदेखी की थी जो नवंबर 2010 से अप्रैल 2015 तक राष्ट्रीय पुरुष टीम के मुख्य कोच रहे.
विनोद कुमार ने कहा था कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में अपने शिष्यों की उपलब्धियों के लिए अनूप (लगभग 375 अंक) की तुलना में अधिक अंक (लगभग 420 अंक) मिले थे. विनोद कुमार ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस साल मई में राष्ट्रीय कोच के पद से उनकी बर्खास्तगी के कारण उनके नाम पर विचार नहीं किया गया.
उन्होंने कहा, लेकिन इस साल मई में मेरी बर्खास्तगी का 2012 से 2015 तक पिछले तीन साल में मेरे काम से क्या लेना देना. भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने अप्रैल में दोहा एशियाई चैम्पियनशिप के दौरान मेंटर के रुप में विनोद कुमार के प्रदर्शन को पर्याप्त नहीं पाते हुए मई 2015 में उन्हें बर्खास्त कर दिया था. डब्ल्यूएफआई और लंदन ओलंपिक खेलों के कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त ने द्रोणाचार्य पुरस्कार समिति को विनोद कुमार के नाम की सिफारिश की थी जिसे खारिज कर दिया गया. अदालत ने आज इससे पहले केंद्र को यह पुरस्कार विनोद कुमार को देने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति वीपी वैश ने कहा, पुरस्कार याचिकाकर्ता विनोद कुमार को दिया जाना चाहिए.