36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

23 साल बाद निर्दोष साबित हुए निसार ने कहा, अब जिंदा लाश हूं

नयी दिल्ली : निसारउद्दीन अहमद की उम्र तब 20 साल थी जब उसे पुलिस ने ट्रेन बम धमाके के आरोप में गिरफ्तार किया. अदालत में उस पर कई आरोप लगे. 23 साल जेल में रहने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने उसे 17 दिनों पहले रिहा किया है. अब निसार की उम्र 43 साल है. […]

नयी दिल्ली : निसारउद्दीन अहमद की उम्र तब 20 साल थी जब उसे पुलिस ने ट्रेन बम धमाके के आरोप में गिरफ्तार किया. अदालत में उस पर कई आरोप लगे. 23 साल जेल में रहने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने उसे 17 दिनों पहले रिहा किया है. अब निसार की उम्र 43 साल है. निसार ने निर्दोष होते हुए भी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण दौर या यूं कहें पूरी की पूरी एक पीढ़ी का वक्त जेल में बिता दिया.

निसार को बाबरी मस्जिद ढाहाये जाने की पहली बरसी पर ट्रेन धमाके के मामले में गिरफ्तार किया गया था. इस धमाके में दो लोगों की मौत हो गयी थी. निसार खुद को हमेशा निर्दोष बताता रहा लेकिन लंबी चलनी वाली कानूनी प्रकिया और पुलिस के शक ने उसकी पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी.
जेल से बाहर निकलते ही निसार ने कहा, जब वह जेल गये थे तो वो युवा थे लेकिन अब जब खुद को निर्दोष साबित करके लौटे हैं तो जिंदा लाश हैं. निसार उस वक्त फर्मेसी की पढ़ाई पढ़ रहे थे. कुछ ही दिनों बाद उन्हें सेकेंड ईयर का परीक्षादेनी थी. निसार जैसे ही कॉलेज पहुंचे पुलिस वाले पहले से उनका इंतजार कर रहे थे. उन्होंने बंदूक दिखाकर उन्हें गाड़ी के अंदर बिठा लिया. निसार की गिरफ्तारी की जानकारी कर्नाटक पुलिस को भी नहीं दी गयी.
निसार को पहली बार 28 फरवरी 1994 को पहली बार अदालत में पेश किया गया था. तब से लेकर अबतक निसार ने अपनी जिंदगी के 8150 दिन जेल में बिता दिये. निसार खुश हैं कि वो खुद को बेगुनाह साबित कर पाये लेकिन उनके चेहरे पर खुद को उदास साबित करने के लिए तय की गयी समय की एक लंबी दूरी की थकान साफ देखी जा सकती है. निसार हल्के स्वर में कहते हैं मेरे लिए अब मेरी जिंदगी अब खत्म हो चुकी है. जिसे आप देख रहे हैं वो एक जिंदा लाश है.
निसार के पीछे पूरी एक पीढ़ी गुजर गयी. निसार कहते हैं, आखिरी बार जब मैंने अपनी छोटी बहन को देखा था तब वह 12 साल की थी, अब उसकी 12 साल की एक बेटी है. मेरी भांजी तब सिर्फ एक साल की थी, उसकी शादी हो चुकी है. मेरी कजिन मुझसे दो साल छोटी थी, अब वह दादी बन चुकी है. पूरी एक पीढ़ी मेरी जिंदगी से गायब हो चुकी है.
20 साल की उम्र में युवा कई सपने देखते हैं. निसार में उन साधारण युवाओं की तरह अपने लिए एक तय किये गये लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ रहे थे. एक ट्रेन धमाके ने उनकी जिंदगी की दिशा मोड़ दी और जिंदगी का बेहद अहम सफर उन्होंने खुद को निर्दोष साबित करने में तय कर दिया. जेल से निकलने के बाद पहली रात एक होटल में बिताई. जेल में जमीन पर गुजारीं उनकी रातें होटल के बिस्तर पर उन्हें आराम नहीं दे पायी. निसार सारी रात जागते रहे. निसार ने अपनी आजादी के लिए सुप्रीम कोर्ट को शुक्रिया अदा किया लेकिन साथ ही एक सवाल भी पूछ लिया, मुझे मेरी जिंदगी कौन लौटाएगा?

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें